सुपंक्तियाँ
Friday, September 23, 2016
जब एक दरवाजा,क्यों नहीं छुटती,सूरत का क्या
Thursday, September 22, 2016
गुरु की कृपा, रात ढलेगी
चार किताबें पढ़ने,जब जतनों से,लालच तो ऐसी ,श्वेत वर्ण पर
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